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एक बात कहूं- तुम सुन लो ना
तुम चुप क्यों हो कुछ बोलो ना
यह शांति तुम्हारी बोझिल है
यह बोझ उठाना मुश्किल है
किस दर्द ने तुमको काटा है
इस चांद पे क्यों सन्नाटा है
तुम्हें रोना है तो रो लो ना
तुम चुप क्यों हो कुछ बोलो ना।
तुम आसमान सा गरज पड़ो।
फिर चाहें मुझ पर बरस पड़ो।
तुम आंख से दरिया कर डालो
जो कहना है तुम कह डालो
जो करना है तुम कर डालो
एक बार तो मुंह तुम खोलो ना
एक बात कहूँ तुम सुन लो ना
तुम चुप क्यों हो कुछ बोलो ना।
क्या कहा जो तुम यूँ क्रुद्ध हुए
क्या हुआ जो तुम यूँ बुद्ध हुए
तुम आंखे अपनी खोलो ना
तुम चुप क्यों हो कुछ बोलो ना
एक बात कहूं - तुम सुन लो ना
तुम चुप क्यों हो कुछ बोलो ना।
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