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तुम्हारे पसीने में मिल जाना
चाहता नहीं हूं मैं।
तुम्हारे ख़ून में घुल जाऊँ
तो कुछ और बात होगी।
तुम्हारे दिल से अभी के अभी
चुपचाप चला जाऊँगा मैं।
तुम्हारी जुबान पर जिंदा रह पाऊँ
तो कुछ और बात होगी।
तुम्हारे नुकीले नाखून पर बैठकर
बहुत देर से सोच रहा हूँ मैं ।
तुम्हारी उंगलियों के सहारे जुल्फों तक जाऊँ
तो कुछ और बात होगी।
मुट्ठी भर शकर के दानों से
बचता बचाता निकल जाऊँगा मैं
एक चम्मच शहद में डूब जाऊँ
तो कुछ और बात होगी।
तुम्हारा हाथ पकड़कर
पूरी दुनिया घूम चुका हूं मैं।
बिन तेरे इक कदम भी रख पाऊँ
तो कुछ और बात होगी।
चाहतें बहुत रक्खी हैं - खोयी हैं
मैंने भी इस जीवन में
बस तेरी चाहत बचा पाऊँ उम्र-भर
तो कुछ और बात होगी।
~अंश
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