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Romantic PoetryPoetry1 min read

दिल में बसी यादें

Dr Wasif QuaziDr Wasif Quazi May 12, 2023
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यादों को तेरी दिल से लगाकर रक्खा है ।

काम ज़रूरी है सबको बताकर रक्खा है ।।


ख़ाली छोड़ा है कोना दिल के आशियाने में ।

गमों के गुलदस्ते को वहीं सजाकर रक्खा है ।।


ज़रूरत पर जो…… फेर लेते हैं मुंह अक्सर ।

ऐसे रिश्तों को भी अब तक निभाकर रक्खा है ।।


हमारी हर दुआ में…… ज़िक्र है उनका मगर ।

उन्होंने अपने जेहन से हमको हटाकर रक्खा है ।।


लोग जला देतें हैं…………. खतों को वासिफ ।

उसने मेरे खतों को अब तक बचाकर रक्खा है ।।


© डॉक्टर वासिफ क़ाज़ी , इंदौर

© क़ाज़ी की कलम

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