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यादों को तेरी दिल से लगाकर रक्खा है ।
काम ज़रूरी है सबको बताकर रक्खा है ।।
ख़ाली छोड़ा है कोना दिल के आशियाने में ।
गमों के गुलदस्ते को वहीं सजाकर रक्खा है ।।
ज़रूरत पर जो…… फेर लेते हैं मुंह अक्सर ।
ऐसे रिश्तों को भी अब तक निभाकर रक्खा
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