हम इक दिन उससे मिलेंगे ज़रूर
जो बातें कहनी थीं कहेंगे ज़रूर
यूँ ही चलते रहे हैं हम उम्र भर
पर उसकी गली में रुकेंगे ज़रूर
रोया हूँ कई रातें जिसकी ख़ातिर
सिसकियाँ उस तक पहुँचेंगी ज़रूर
हम बेशक़ चले जायेंगे इस जहां से
इक अरसा उसकी ज़हन में रहेंगे ज़रूर
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