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युद्ध न खुद सोता है न ही किसी इंसा को सोने देता है
ज़िंदगी भर संजोए ख़्वाबों को बिखेर हमें न रोने देता है..
ख़ूबसूरत बस्तियों को उजाड़ उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता
युद्ध तिनके जोड़ बनाए आशियानों को न संजोने देता है..
मौत और बर्बादी इसके दो दोस्त जो बिन बुलाए आते हैं
युद्ध ज़िंदगी तबाह कर लाशों को कंधे पर न ढोने देता है..
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