Share0 Bookmarks 223000 Reads4 Likes
जब भी तेरे शहर की गलियों से गुजरने लगा हूँ
फ़िज़ाओं में प्यार की ख़ुशबू महसूस करने लगा हूँ..
रात और भी ख़ूबसूरत लगती है तेरे शहर की
मैं अपने शहर में सन्नाटा महसूस करने लगा हूँ..
वैसे तो अपने शहर की खबरों से नहीं हूँ वाबस्ता
पर तेरे शहर का अख़बार को रोज़ाना पढ़ने लगा हूँ..
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments