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सर्द दिसम्बर की तरह...

Dr. SandeepDr. Sandeep December 30, 2021
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कँपकँपाती ठिठुरती हुई सर्द दिसम्बर की तरह

ठंड में वो लिपटती थी गर्म कम्बल की तरह..

सर्द हवा की लहरें जब भी जिस्म में चुभती थी

वो छू लेती थी रेशमी मुलाएम मलमल की तरह..

आज भी बसी है उसकी ख़ुशबू मेरी साँसों में

उसकी यादों को सजाया मैंने मख़मल की तरह..

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