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काफ़िराना सी हो गई थी ज़िंदगी हमारी
मौज़ूदगी ने तेरी आशिक़ाना बना दिया..
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ज़िंदगी से मिला जो ज़ख़्म-ए-ताज़ियाना
दिल में इश्क़ का आशियाना बसा दिया..
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तेरे अल्फ़ाज़ों ने मुझे कर दिया कायल
क़लम ने तेरी मुझे दीवाना बना दिया..
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