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इस राह-ए-सफ़र में जो तू मेरी हमसफ़र हो जाए
बीत जाएँ ये ख़ूबसूरत पल जो तू रफ़ीक़-ए-सफ़र हो जाए..
बहुत दर्द से गुज़रा हूँ ज़िंदगी की इन अनजान राहों पर
अब तू साथ चले तो मेरा दर्द-ए-ग़म कसर हो जाए..
मेरे दिल की धड़कनों को तुमने धड़कना सीखा दिया
अब जब भी दिल से याद करूँ तुझको ख़बर हो जाए
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