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ज़िन्दगी के सफ़र में कोई डेरा नहीं मेरा
गली गली घूमता हूँ कोई मिला नहीं मेरा..
शिद्दत-ए-आवारगी तो ज़िंदगी भर चली
नहीं बना मोहब्बत का बसेरा कोई मेरा..
मैंने उसको चाहा था ख़ुदा से भी ज्यादा
आज उसकी नज़रों में कोई साया नहीं मेरा..
कभी प्यार में जुदाई नहीं थी सही जाती
आज उनको इक पल साथ गवारा नहीं मेरा..
अब ये ज़िंदगी स्याह रातों में कट रही
किसी ने बिगड़ा नसीब संवारा नहीं मेरा..!!
#तुष्य
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