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आसमाँ में निकला पूर्णिमा का चाँद भी हैरान है..
आख़िर पानी में ये किसकी परछाई छाई है..
किसके अक्स की रौशनी से झील जगमगाई है..
आख़िर किसकी ख़ुशबू हफ़्त-आसमाँ तक आई है..
किसकी चमक मेरे से ज़्यादा आँगन में समाई है..
कौन है मल्लिका-ए-हुस्न जिसने मेरी नींदें चुराई है..
आख़िर किसका साया है जिससे रात भी घबराई है..
किसके चेहरे की चमक ने मेरी चाँदनी छिपाई है..
मैंने कहा चाँद से शायद मेरा 'चाँद' निकल आया है..
इसलिए प्यारे चाँद आज तू और तेरी चाँदनी मुरझाई है..!!
#तुष्य
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