हमदर्द मेरे नाराज़ न होना…'s image
Poetry1 min read

हमदर्द मेरे नाराज़ न होना…

Dr. SandeepDr. Sandeep January 21, 2022
Share0 Bookmarks 60203 Reads3 Likes

सुनो हमदर्द मेरे मुझसे नाराज़ न होना

मुझे अज़ीब सी आदत है भूल जाने की

मुझ ख़तावार की ये गलती माफ़ करना

नहीं थी कोशिश तुम्हारा दिल दुखाने की..!!

मैं तेरे ग़ैरत-ए-जज़्बात पहचान ना पाया

नहीं थी हरकत तुझे तकलीफ़ पहुँचाने की

मुनासिब हो तो सितमगर को माफ़ करना

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts