Share0 Bookmarks 60203 Reads3 Likes
सुनो हमदर्द मेरे मुझसे नाराज़ न होना
मुझे अज़ीब सी आदत है भूल जाने की
मुझ ख़तावार की ये गलती माफ़ करना
नहीं थी कोशिश तुम्हारा दिल दुखाने की..!!
मैं तेरे ग़ैरत-ए-जज़्बात पहचान ना पाया
नहीं थी हरकत तुझे तकलीफ़ पहुँचाने की
मुनासिब हो तो सितमगर को माफ़ करना
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments