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मेरी ख़्वाहिश ही न थी ढूढ़ने की
मुझ में ही खोया था मेरा वज़ूद
जब भी निकला ख़ुद की खोज़ में
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मेरी ख़्वाहिश ही न थी ढूढ़ने की
मुझ में ही खोया था मेरा वज़ूद
जब भी निकला ख़ुद की खोज़ में
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