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दर्द-ए-दिल देकर वो पूछते हैं मेरे दिल-ए-बेताब का हाल
ख़ुद हाल-ए-दिल छुपाते हैं मुझे कहते मेरा दिल है बेहाल...
मेरे दिल-ए-नादाँ ने तो कह दिया मैं ही हूँ तेरा महींवाल
अब तुम जानो ख़ुदा जाने लो मेरे दिल-ए-ज़ार को सँभाल..
जब मिलोगी तुम तो जानेंगे कैसा है तुम्हारे दिल का हाल
फ़िर क्यों तुम उठाती हों मेरे वक्त-ए-मुलाक़ात पर सवाल..
जानता हूँ इश्क़ और इबादत दोनों में तुम
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