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तेरी सादगी पर तो दिल-ओ-जाँ निसार करता हूँ
लफ़्ज़ों से ज्यादा तेरे जज़्बातों से प्यार करता हूँ..
छाया है मुझ पर तेरे तसव्वुर का असर कुछ ऐसा
अपनी नज़्मों में तेरे एहसासों को शुमार करता हूँ..
मुझे शराब से ज्यादा तेरे अल्फ़ाज़ों का चढ़ा नशा
हर रात तेरे नग़्मों का बेसब्री से इंतिज़ार करता हूँ..
भूल जाता हूँ ग़म-ए-जिगर-शिकन-ओ-दर्द-ए-जाँ
ऐ नूर-ए-क़लम ख़ुद को तेरा आशिक क़रार करता हूँ..
आख़िर सुकून मिला दिल का ये माजरा लिख कर
ऐसे यार के मिलने पर शुक्र-ए-पर्वरदिगार करता हूँ..!!
#तुष्य
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