Share0 Bookmarks 213849 Reads1 Likes
इंसान कुछ और नहीं गलतियों का पुतला है
चलता फिरता बस मिट्टी से बना कुठला है..
मुसाफ़िर है इश्क़ करता है दिल भी लगाता है
लेकिन जज़्बातों और ज़मीर से बहुत उथला है..
सुरूर है गरूर है नशा कोई जरूर लगाता है
लेकिन ख़ूबसूरती देख वक्त की रेत सा फिसला है..
दूसरों की कमियां को ज़ोर-श
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments