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लाल कुर्ती में हुस्न-ए-लाज़वाब हो तुम
बिना मेकअप ख़ूबसूरत बेहिसाब हो तुम..
बगैर तुम्हारे मेरे अल्फ़ाज़ अधूरे रहते हैं
मुझ शायर का मंज़िल-ए-ख़्वाब हो तुम..
बेशक मुझ अहल-ए-क़लम से थोड़ा दूर हो
दिल की नज़र से देखो कितने पास हो तुम..
तेरे लफ़्ज़ों की ख़ुशबू बसी है मेरी साँसों में
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