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दिल जलाने से ना कभी दूर अँधेरा होगा
रात ढल जाएगी मुस्कुराइए फ़िर सवेरा होगा..
ये ख़ुदगर्ज़ है ज़माना जाने न फ़र्क साहब
ये ना कभी मेरा था और ना कभी तेरा होगा..
कहने को तो यहाँ ग़म-ख़्वारी दिखाते हैं सारे
अँधेरों में छिपा रहबर शायद कोई लुटेरा होगा..
रख हिम्मत हौसला न हार मुश्किलें होगी पार
नई शक्ति नई उमंग नई उम्मीदों का घेरा होगा..
सफ़र-ए-हयात में फ़िर किसी के साथ बसेरा होगा
रात ढल जाएगी मुस्कुराइए फ़िर सवेरा होगा..!!
#तुष्य
ग़म-ख़्वारी: हमदर्दी, सफ़र-ए-हयात: ज़िंदगी का सफ़र
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