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ना दिखा अपना किरदार दुनिया की भीड़ में मेरे दोस्त
यहां समझने वाले कम और दिमाग वाले ज्यादा हैं..
तुझे यहां वफ़ादार लोग तन्हाई-ए-सफ़र में ही मिलेंगे
क्योंकि यहां जुबानी नशे में मद-मस्त मैख़्वार ज्यादा हैं..
कोई किसी का नहीं यहां कहने को ग़मख़्वार है दुनिया
यहां जोंक की तरह ख़ून चूसने वाले ख़ूँ-ख़्वार ज्यादा हैं..
यहाँ क़दम क़दम पर सरोकार दिखाते हुश्यार मिलते हैं
पर बातों को हवा में उड़ाने वाले बड़े फ़नकार ज्यादा हैं..
दुश्मन-ए-जाँ कोई दिखता नहीं सब दिलदार बनते हैं यहां
ज़ख़्म-ए-दिल देने वाले साहिब-ए-'अय्यार ज्यादा हैं..!!
#तुष्य
अर्थ- मैख़्वार: शराबी, ग़मख़्वार: हमदर्द, अय्यार: चालबाज़
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