
Share0 Bookmarks 184 Reads2 Likes
दर्द-ए-दिल के लिए वो पैग़ाम-ए-हयात हो गई
जब से ग़म-ए-ज़िंदगी में वो मेरे साथ हो गई..
ग़लत सुना था एहसास-ए-इश्क़ आँखों से होता है
यहाँ उसकी मुस्कुराहट मेरे दिल के पार हो गई..
मैं तो उनके लफ्ज़ों पर ही ये दिल हार बैठा हूँ
मन ही मन में वो सब कुछ मेरे यार हो गई..
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments