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दस्तक-ए-दिल...

Dr. SandeepDr. Sandeep January 5, 2022
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ना कोई दस्तक थी ना ही कोई आहट थी

फिर दरवाज़े पर ये किसकी सरसराहट थी

शायद मेरे दर्द-ए-ग़म दबे पाँव ख़िसक रहे थे

दिल में ख़ुशियों की आई जो जगमगाहट थी..!!


मुद्दतों ज़िंदगी की उलझनों में उलझा रहा

शायद मेरे अंदर कुछ अज़ीब सी छटपटाहट थी

पर वक़्त से लड़ नसीब बदलने की थी कोशिश

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