बिरज की होली...'s image
Poetry2 min read

बिरज की होली...

Dr. SandeepDr. Sandeep March 17, 2022
Share0 Bookmarks 500 Reads2 Likes

सुबह सी मस्त शाम सी रंगीली

सबसे अनूठी है बिरज की होली

होली खेले राधा संग बांके बिहारी

बरसाए अबीर, गुलाल और रोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली..!!

चारों ओर रंगों से सराबोर जनजन

गोपी भिगोएँ गोपियों की चोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली..!!

झोली भर गुलाल फेंके भाभी पर

देवर करे भाभी संग हंसी-ठिठोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली..!!

नंदलाला बन बाल मारे पिचकारी

रंग-बिरंगी हुई सूरत जो थी भोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली

वृन्दावन की इन कुंज गलियन में

फाग गाते घूमे मस्तानों की टोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली..!!

पीकर भांग का प्याला जमा रहे रंग

घाट-घाट घूमे ऐसे जैसे धरती है डोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली..!!

बरसाना नंदगांव मस्ती में झूम रहे

फ़िज़ाओं में फागुन की मस्ती घोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली..!!

गली से गुज़रते हुए एक गोपी बोली

ओ साँवरे ऐसे न देंगे जाने तुझको

कितनी भी हो क्यों न सूरत भोली

सबसे अनूठी है बिरज की होली

सबसे अनूठी है बिरज की होली..!!

#तुष्य

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts