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जब अपना कोई मिलता है तो लफ़्ज़ भी निरखते हैं
पर जब वो दिल तोड़ता है तो लफ़्ज़ भी बिखरते हैं..
कहते हैं हर लफ़्ज़ में छिपी होती हैं कुछ गहरी बातें
समझने वाले समझते बाक़ी मज़ाक समझ गुज़रते हैं..
ना जाने उनकी शान में क्या गुस्ताख़ी हो गई हमसे
आजकल दर्द-ए-अल्फ़ाज़ देखकर वो नहीं पिघलते है
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