Share0 Bookmarks 38936 Reads1 Likes
जो कभी जीना सिखाते थे वो आज मरता छोड़ गए
अपना पन जताने वाले अकेले यूँ बिख़रता छोड़ गए..
जंग-ए-ज़िंदगी में जब जरूरत थी मुझे हम-सफ़ीर तेरी
ज़िंदगी के सफर में मुझ को अकेले चलता छोड़ गए..
देख तेरे ख़्यालों में कैसे ख़ुद को बिख़रा दिया है मैंने
जब से तुम अपनी यादों में मुझको तड़पता छोड़ गए..
आजकल तो कश्तियाँ भी मायूस रहती हैं किनारे पर
सुना है दरियापार करानेवाले उनको उजड़ता छोड़
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments