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ऐसा नहीं ज़िंदगी की सब ख़्वाहिशें अधूरी रहती है
हाथों की लक़ीरें टूटी हों तो नसीब से दूरी रहती है
दिल की बात बोलने में होंठों की मज़बूरी रहती हैं
दिल से दिल ना मिले तो मुलाक़ात अधूरी रहती है
गुज़रे लम्हों को याद कर दिल में कस्तूरी रहती है
इंतज़ार की घड़ियों में हर साँस ग़ैर-ज़रूरी रहती है
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