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सुनो लड़कियों
तुम ठीक ठीक से
पहचानना सीख लो
प्रेमी और शिकारी के अंतर को
कई शिकारी प्रेमी बने घूम रहें हैं इन दिनों
तुम्हारे जैसा शिकार सूंघते
प्रेम का महीन जाल बिछाये
बहके कदमों के लिए
प्रेम की अंधी गलियों में
तुम बचना ऐसे बाजों से
जो मिठ्ठू जैसे दिखते हैं
गर कदाचित फंस जाओ
उनके फेंके जाल में
पुकारो
उस दरवाजे को
जिसे लांघ निकल गई थी कभी
अधखुला पड़ा है वहीं
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