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सदियों से
दासता की
पैहरन मे जकड़ी ऊकड़ी सी बैठी रही
अपमान को
घूंट घूंट पीती रही
पीड़ा मे लिपटी
सीली सी जिंदगी जीती रही
अन्याय के पैरों तले
घास सी रौदीं जाती रही
स्त्री मन में
धीरे धीरे सुलगती है क्रांति
फिर एक मां
अपनी बेटी के लिए
आंगन मे अक्षर बोती है
सम्मान उगाती है
@DrGeetaSharma1 https://t.co/GxoltZxEeP
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