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इश्क की चिंगारी
मैं कवयित्री हूँ
सुन लेती हूँ..
हवा की पत्तों से बातचीत।
महसूस कर लेती हूँ...
शजर की व्यथा।
देख लेती हूँ...
कश्ती में ठहरा हुआ जीवन।
ख्यालों के आगोश में...
बहने लगती हूँ..
शोख चंचल लहरों के संग।
आज तेरे तसव्वुर का पैरहन ओढ़कर
कोरे पन्ने पर...
इज़हार-ए-इश्
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