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हिन्दी हमारी शान
हिन्दी हमारी पहचान
हिन्दी हमारा अभिमान
हिंदुस्तान के मस्तक पर
अक्षत रोली का तिलक लगा सम्मान
मैंने प्रेयसी बन कर
हिन्दी का आलिंगन किया
शब्द, वाणी, भाव को महसूस किया
हिन्दी की वाणी से
ईश्वर की रिझाया
पत्थर को पिघलाया
भावनाओं के घुँघरू पहनकर
पन्नों का श्रृंगार किया
हिन्दी के जज़्बात को…
माँ की लोरी में सुनाया
प्रेम के गीत में गुनगुनाया
मीरा के भजन में गाया
सूरदास के पद में सुनाया
कबीर की वाणी में सुनाया
तुलसीदास के दोहे में सजाया
हिन्दी का प्रेम
बहती लहरों को सुनाया
हवा की रवानी को सुनाया
उड़ते पंछी को सुनाया
चाँद सितारों को सुनाया!
हिन्दी के श्रृंगार से …
भोर की लालिमा को निखारा
सुरमई शाम को मदहोश बनाया
रात का आँचल सजाया
चाँदनी का रूप निखार
प्रकृति का कण कण संवारा!
डा॰ अपर्णा प्रधान
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