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माँ

(मेरी माँ को समर्पित)


माँगकर ख़ुदा से मुझे लाई है माँ

महीनों तक गर्भ में मुझे सजाई है माँ 

माँ के एहसानों को कैसे भूल जाऊं

सींचकर लहू से मुझे बनाई है माँ।


मेरी खुशियों के लिए गम उठाई है माँ

जागकर के भी मुझको सुलाई है माँ

ममता का वो आँचल कभी भूलता नहीं

दूध जिसमें छिपाकर मुझे पिलाई है माँ।


मैं आव

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