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'मैं किसान हूँ'
मैं किसान हूँ, मैं गुमनाम हूँ,
समाज का बोझ, वक़्त का गुलाम हूँ,
मैं किसान हूँ, मैं गुमनाम हूँ।
मैं बेपर्द हूँ, मैं बेपहचान हूँ,
बेमोल का पड़ा हुआ कोई सामान हूँ,
मैं किसान हूँ, मैं गुमनाम हूँ।
मैं सुबह की धुंध हूँ, शाम की बरसत हूँ,
किसी खूबसूरत शहर में खँडहर
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