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बूँदों की छुवन
(कविता)
बारिश के बूँदों से
खिल जाता है चमन
रोम-रोम में सिहरन
विचलित होता है ये मन।
झूम उठती हैं कलियाँ
महक उठता है मधुवन
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बूँदों की छुवन
(कविता)
बारिश के बूँदों से
खिल जाता है चमन
रोम-रोम में सिहरन
विचलित होता है ये मन।
झूम उठती हैं कलियाँ
महक उठता है मधुवन
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