
Share0 Bookmarks 21 Reads0 Likes
प्रेमिका होना जितना सौभाग्यपूर्ण है उतना ही दुर्भाग्य भी
प्रेमी एक प्रेमिका का जितना होता है उतना शायद पत्नी का नही हो सकता । पत्नी उसके लिए जिम्मेदारी है और प्रेमिका का होना उसके जीवन मे सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होने जैसा है जंहा वो अपनी सारी परेशानियों को भुला सकता है। पत्नी के साथ उसने समाज को दिखाए जाने वाले हर रीति रिवाज को निभाया और प्रेमिका के साथ समाज की हर बंदिशों को ठुकराया । प्रेमिका के पास कोई साक्ष्य नही है प्रेम का होना ही उसके लिए सबसे बड़ा साक्ष्य है। पत्नी के पास बहुत सारे साक्ष्य है पर प्रेम के बिना सब निराधार है। पत्नी के पास सारे अधिकार है और प्रेमिका को किसी अधिकार की जरूरत ही नही पड़ी। प्रेमिकाएँ झुलसती रही विरह की अग्नि में और पत्नी उसी अग्नि के सात फेरे लेती रही।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments