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दावा तुम भी नही कर सकते मेरे हालात समझने का
मुझसे जो काटी न गयी हर उस रात को समझने का
दर्द, तन्हाई ,बेवफाई का जो घूंट मैंने अपने सीने से उतारा है उस कमबख़्त जज्बात को समझने का
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दावा तुम भी नही कर सकते मेरे हालात समझने का
मुझसे जो काटी न गयी हर उस रात को समझने का
दर्द, तन्हाई ,बेवफाई का जो घूंट मैंने अपने सीने से उतारा है उस कमबख़्त जज्बात को समझने का
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