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मेरी इस अकेली दुनिया को जलाने मत आना अब जैसे भी जियूँ मेरा दिल दुखाने मत आना

गंवारा नही है मुझे अब तुम्हे किसी और के साथ बर्दास्त करना, अपनी यादों का बोझ उठाने मत आना ।

चल दी हूँ मै इस राह पर आंख बंद किये हुए

जो लड़खड़ा जाए मेरे कदम तो अपने हाथ आगे बढ़ाने मत आना ।रूठ गयी हूँ खुद से भी मैं अब, यूँ बेवजह मुझे मनाने मत आना।

हक़ तो तुम मुझे दे ना सके, यूँ अपना हुक्म मुझ पर जताने मत आना। तुम जिसके हो अब उसी के हो जाओ मेरे दिल पर अब और जख्म लगाने मत आना ।



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