बेचैनी's image
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इतनी घबराहट इतनी बेचैनी लेकर कँहा जाऊं मैं?

लगता है एक पल के लिए सब छोड़ के मर जाऊं मैं हर कोई सवाल करता है मेरा उदास चेहरे को देखकर

अब तुम ही बताओ ये उदासी कैसे छुपाऊँ मैं?

ये राते भी करवटों में गुजर जाती है जाना

कौन सी बात समझा कर खुद को सुलाऊँ मैं

अब तो थक गई ये आंखे भी रो रो कर

किस तरह से आखिर ये तकिया भिगाऊँ मैं ?

अब तो सपनो में भी तुम किसी और के हो जाते हो

ये देखकर भी कैसे आंखे खोल पाऊं मैं ?

तुम्हारा नाम किसी और के साथ देखकर कहते हो मुझसे रूठी क्यों हो, नही तो क्या मुस्कुराऊँ मैं ?


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