
Poetry1 min read
February 15, 2022
अंधेरी नगरी मे सब कुछ अंधेरे में ही होता है कोई भटकता है कोई रोता है,कोई किसी का हक खा कर हंस रहा होता है।

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अंधेरी नगरी मे सब कुछ अंधेरे में ही होता है
कोई भटकता है कोई रोता है,कोई किसी का हक खा कर हंस रहा होता है।
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