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उठ – उठाकर देखो, अनेक रंगों सी
यह तपिश..
एक दूसरे से बैर कराती, पैर जलाती
यह तपिश..
शांत मन को जैसे, बेचैन करती
यह तपिश..
पंख लगे अरमानो को, मुरझा देती
यह तपिश..
कमजोरों पे रौब जमाती, बलवानों सी
यह तपिश..
काले बादलों सा, घनघोर शोर मचाती
यह तपिश..
अहंकार के मद में करती, इन्सां को अंधा जैसी-
उफ़! यह तपिश..
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