उठ – उठाकर देखो, अनेक रंगों सी
यह तपिश..
एक दूसरे से बैर कराती, पैर जलाती
शांत मन को जैसे, बेचैन करती
पंख लगे अरमानो को, मुरझा देती
कमजोरों पे रौब
No posts
Comments