
Share0 Bookmarks 116 Reads2 Likes
उठ – उठाकर देखो, अनेक रंगों सी
यह तपिश..
एक दूसरे से बैर कराती, पैर जलाती
यह तपिश..
शांत मन को जैसे, बेचैन करती
यह तपिश..
पंख लगे अरमानों को, मुरझा देती
यह तपिश..
कमजोरों पे रौब जमाती, बलवानों सी
यह तपिश..
काले बादलों सा, घनघोर शोर मचाती
यह तपिश..
अहंकार के मद में करती, इन्सां को अंधा जैसी-
उफ़! यह तपिश..
-दिनेश गिरिराज
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments