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एक अलग ही खारापन है
बम्बई के समंदर में
वो जिन्होंने कुछ पा लिया
उनके ख़ुशी के आंसू
या फिर वो जो आज भी
इस शहर में बसने के ख्वाब
खुली आँखों से देखते हैं
कुछ जिन्होंने आधे में
छोड़ दिए अपने सपनो को
और कुछ जिन्होंने अपना सपना पाने के लिए
छोड़ दिया अपनों को
जिनके सपने पुरे न हुए
उनकी आँखों का पानी
कितना कुछ है
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