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एक अलग ही खारापन है
बम्बई के समंदर में
वो जिन्होंने कुछ पा लिया
उनके ख़ुशी के आंसू
या फिर वो जो आज भी
इस शहर में बसने के ख्वाब
खुली आँखों से देखते हैं
कुछ जिन्होंने आधे में
छोड़ दिए अपने सपनो को
और कुछ जिन्होंने अपना सपना पाने के लिए
छोड़ दिया अपनों को
जिनके सपने पुरे न हुए
उनकी आँखों का पानी
कितना कुछ है
कितनों की अधूरी रह गयी कहानी
अनगिनत राज़ छुपाये
हुए है अपने अंदर
सेकड़ों ख्वाब और चाहत
बम्बई का समंदर
ना जाने कितनो की आस
जिनकी बस एक कतरे जितनी प्यास
फिर भी हैं प्यासे भटकते हुए मंज़िल से अपनी
कुछ को आया
कितनों को ना आया रास
हर आर्टिस्ट का सपना
सबका यही मंतर
बम्बई का समंदर
बम्बई का समंदर
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