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आज रात है, मृदुल बसन्त की,
हठ न करो ,प्रिये अब जावन की।
ख्वाबों भरी रात है उतरती,
बातें करो कुछ दिल भावन की।
कलिका के स्पर्श से जयों,
बढ़े है अलि का गुंजन,
इक तेरे ख़याल से ही,
बढ़े पुलकन मेरे दिल की।
और बढ़ जाती उम्मीदें,
तुमसे प्रीत प
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