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जिसके बिना घर, घर नहीं लगता
जिसके ना होने से घर सूना सा लगता है।
जिसने कभी
खुद का दुख दर्द ना देखकर
मुझे हमेशा खुश रखना चाहा है।
जिसकी जगह
कभी कोई और इंसान नहीं ले सकता
कर्ज़ जिसका मैं कभी चुका नहीं पाऊंगा
वो इंसान कोई ओर नहीं 'माँ' है।
जब भी कहीं बाहर से घर आता हूँ,
जब वो ना दिखे
तो हमेशा एक सवाल होता है
'माँ' किधर है?
अब उसके बारे में क्या लिखूं?
उसी से तो मेरे जीवन की शुरुआत है।
•Dk Megh..
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