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डिजिटल दुनिया!
खो गए हैं हम
इस डिजिटल दुनिया के मोह में,
भूल गए हैं
अपनो का अपनापन, रिश्ते-नाते।
आजकल के बच्चे...
कलम पकड़ना ना आए
मोबाइल पकड़ना सीख रहे,
डिजिटल दुनिया के खेल
इंसानों कि जान तक आ पहुंचे।
डूब रहे हम इस दलदल में
परिणाम जिसका भयावह है,
याद रहे...
इस डिजिटल दुनिया में
किताबों जैसा एहसास कहीं ओर नहीं।
मन के भाव
चिट्ठी, पत्रों कि दुनिया में होते थे,
इस डिजिटल दुनिया में मात्र
दिखावा, छलावा, झूठ, फरेब
इनके सिवाय कुछ और नहीं।
- Dk Megh..
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