
Share0 Bookmarks 22 Reads1 Likes
जब महिलाएं केवल
घर की दहलीज़ तक सीमित थी,
अधिकारों से वंचित, बेबस, लाचार
पिंजरे में कैद पंछी की तरह।
नमन उस महामानव को
जिसने महिलाओं के लिए संघर्ष किया एवं
पिंजरे के दरवाजे खोले, जिनकी बदौलत
आज हर महिला सम्मान से तथा
आजाद पंछी की तरह उड़ सकती है।
•Dk Megh
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments