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आज़ाद औरतें फूँकती है जान ज़िन्दगी में,
जब बाक़ी दुनिया महज़ जी रही होती है |
वो नहीं कमाती है पैसा,
जो फ़टी जेबों को भर, दुनिया कमाती हैं |
वो starbucks की कॉफी छोड़ कर,
चुनती हैं अदरक़ वाली चाय टपरी पर,
वो मख़मल के आराम में नहीं,
इस कहकशाँ के लाखों तारों में,
अपना मुकद्दर ढूंढ़ती हैं |
आसमान की ऊँचाइयाँ छूती हैं जो,&nb
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