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दर बदर घूमे फकीरा
चैन-ओ-खुशी के तलाश में
पूरी दुनिया की सैर कर आया
न खुशी मिली न चैन,
फिर झांका वो अपनी खिड़की में,
सोचे फकीरा, मैं अक्ल का अंधा,
न झांका अपने मन के अंदर, और
घूम आया मैं दुनिया भर।
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