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इक खुशियो का कमरा है मैं आज भी जहां रहती हूँ...
हसीन सारे पल मैं वही संजोए रखती हू
शाम की चाय पर जहां बातें होती थी
रातें हमारी साथ गुज़रती थी
ये सब वही है...और मैं भी वही रहती हू
इक खुशियो का कमरा है मैं आज भी जहां रहती हूँ...
बदल गया है वक़्त बदस्तूर फ़ासले आना लाज़मी था
मैं बढ़ती रही मुसलसल...वापस आना भी ज़रूरी था
बेदर्द सी राहों से गुज़र कर फिर वही लौट आती हू
इक खुशियो का कमरा है मैं आज भी जहां रहती हूँ
हसीन सारे पल मैं वही संजोए रखती हू
शाम की चाय पर जहां बातें होती थी
रातें हमारी साथ गुज़रती थी
ये सब वही है...और मैं भी वही रहती हू
इक खुशियो का कमरा है मैं आज भी जहां रहती हूँ...
बदल गया है वक़्त बदस्तूर फ़ासले आना लाज़मी था
मैं बढ़ती रही मुसलसल...वापस आना भी ज़रूरी था
बेदर्द सी राहों से गुज़र कर फिर वही लौट आती हू
इक खुशियो का कमरा है मैं आज भी जहां रहती हूँ
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