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ना खामोशी मैं कोई रुतबा है,
ना अल्फाज़ इतने बेअसर हैं
गर चल सको कुछ दूर तक,
ये सफर ही सुकूं हैं...
ना अल्फाज़ इतने बेअसर हैं
गर चल सको कुछ दूर तक,
ये सफर ही सुकूं हैं...
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