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इन वर्दियों में कौन से धागे लगाते हैं ।
गर्मियां वे बस गरीबों पर दिखाते हैं ।
ठेलों से उठा लेते हैं वो अंगूर के दाने ।
जैसे बाप का हो माल वैसे हक जताते हैं ।
सरपट बैठ जाते हैं दरोगा पांव में जाकर ।
इन्हें सफेद
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