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उलझा था धागों के जैसा,
तूने छू कर ख्वाब बुना।
जो तुमने ना ज़ुबाँ से बोला,
रूह ने मेरी वो भी सुना।
देखो मैं बेताब हूं कितना,
जो तुमने नजरों से छुआ।
मेरी दुआएँ हो गई वाज़िब,
तू रब, तू मेरा ख़ुदा हुआ।
जब तेरी बस्ती से गुज़रे,
बस इक तेरा नाम सुना।
हर शख्स को तेरी लौ है,
लेकिन तूने मुझे चुना।
सारी हैं तेरी तरकीबें,
जादू मुझ पर जुदा हुआ।
मेरी दुआएं हो गई वाज़िब,
तू रब, तू मेरा ख़ुदा हुआ।
तू मुझे कुछ साल दे गया,
मैंने लम्हा-लम्हा गिना।
ये रहमत तेरी या रब की,
पूछके क्यों मैं करूं गुनाह?
मेरी मदहोशी, सरग़ोशी है,
जब से तुझ पर फ़िदा हुआ।
मेरी दुआएं हो गई वाज़िब,
तू रब, तू मेरा ख़ुदा हुआ।
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